नई शुरुआत
चलो नई शुरुआत करते है
मन को शांत निर्मल रखो
और सत विचार ही अपनाये,
इस तन को साफ व पवित्र रखे,
तन से कोई बद कर्म ना हो।
चलो नई शुरुआत करते है
वाणी में सरलता व मिठास
हो बिगड़े काम बन जायेगे,
पुण्य करोगे पुण्य ही पाओगे
सत कर्म का फल मिलेगा,
चलो नई शुरुआत करते है
जो भी कर्म करो प्रभु पर
छोड़ो उसका फल,सत्कर्म
से ही दुनिया में,अपनी पहचान
बनायेंगे तो नाम कमायेंगे।
चलो नई शुरुआत करते है
पाप पुण्य क्या होता है,
एक कर्म कभी पुण्य है तो,
वही कर्म पाप बन जाता
हमसदा उसका ध्यान रखे।
मीता लुनिवाल
जयपुर, राजस्थान
Instagram id meandmythougths17
लिखना है नई शुरुआत हमें
माना कि मिली हार हमें,
मिली लोगों की धिक्कार हमें,
पर सबको रख कर एक कोने में,
होना है फिर से तैयार हमें।
माना कि पड़े हम कमजोर,
ढ़ील गई जीत की बागडोर,
यह हार भी है स्वीकार हमें,
पर मानना नहीं कभी हार हमें।
माना कि हम सुस्त पड़े हैं,
उदासियों के एक दौर से,
करना है खुद पर काम हमें,
लिखना है नई शुरुआत हमें।
Insta id-iamanil.kumar
- जिंदगी एक पहेली *
जिंदगी के काग़ज़ पर जज़्बातों की स्याही है, वक़्त एक कलम है आनी कई खुशियां और तबाही हैं।
आना जाना इन खुशियों का, ये तो तुम्हारी परछाईं हैं
दिखाई उसको देती हैं,
जिसके साथ सफलता आई है।
सफलता वो रोशनी है जहां दिखती हर परछाईं है,
जब सफलता मिले तो समझना कि खुशियों की शुरुआत हो आई है।
महज सफलता की ये राहें किसी ने चक्रव्यूह से कमजोर नहीं पाई हैं।
बिछे हुए इस राह पर,
कई कांटे और तन्हाई हैं।
कोई साथ नहीं देता यहां किसी का ,
बस सब देते अपने नाम की दुहाई हैं ।
कठिनाइयों से लडकर आगे बढ़ना,
इस जीवन की कड़वी सच्चाई है ।।
।।। जिंदगी के काग़ज़ पर जज़्बातों की स्याही है
वक्त एक कलम है आनी कई खुशियां और तबाही है ।।।।
-Muskan kushwaha
Insta I’d -@fitoori12345
नई शुरुआत की ओर कदम बढ़ाओ…
दुनियां ने रोका बहुत,
हर कदम टोका बहुत,
साथ कोई निभा ना सका,
उपदेश हर कोई देता ही रहा…
ज़माना ये बहुत खराब है,
संभल कर तुम्हें चलना पड़ेगा,
लोगों की गंदी नज़रों से,
बचना तुम्हें खुद ही पड़ेगा…
परियों की कहानियों जैसी,
असल जिंदगी कहां इतनी आसान है,
हर कदम नई चुनौतियां है,
पार अपनी हिम्मत से तुम्हें करना पड़ेगा…
बेरहम ज़माने की सभी कठिनाइयों का,
डट कर सामना करना पड़ेगा,
वरना ‘तुमसे ये नहीं हो पाएगा’,
सुना कर तुम्हारे पंखों को रौंद दिया जाएगा…
आज, अभी और इसी वक्त एक प्रण लो,
कभी नहीं रुकेंगे, गलत के आगे ना झुकेंगे,
अपने हक़ की हर लड़ाई को,
पूरी आस्था और हिम्मत से लड़ेंगे…
जब हर लड़की अपने लिए आवाज़ उठाएगी,
तब जा कर ‘वृंदा’ को सुख-चैन की नींद आएगी,
विनती कहो या कहो मेरे दिल की पुकार,
उन्नति होगी तभी जब होगी हर लड़की आज़ाद…
– वृंदा
IG:- @harshita_bansal_
नई शुरुआत…
जो हो गया सो हो गया,
जो बीत गया वो बीत गया,
थोड़ा मुश्किल है फिर भी,
बहुत कठीन है मेरे लिए,
फिर से नई शुरुआत करना….
जो गुजरना था वो गुजर गया,
जो रहना था वो रह गया,
बहुत हिम्मत चाहिए होती हैं,
उस एक कदम को बढ़ाना और,
फिर से नई शुरुआत करना…
जो हारना था वो हार गया,
जिसे जाना था वो चला गया,
कच्चे इरादे नहीं हैं मेरे,
टूटकर, उठकर, जुड़कर,
फिर से नई शुरुआत करना…..
Written by –
Dr.Ravindrapal singh Muzalda (KaviRp)
(HINDI)
Ig @kavirp08
बुलाऊं जब कभी तुमको, मेरे सरकार आ जाना।
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बुलाऊं जब कभी तुमको,मेरे सरकार आ जाना।
सताओ ऐसे न मुझको, मैं तेरे दिल का दीवाना ।
तुम्हारी मोहनी मूरत,,,,, सलौनी सांवरी सूरत,
मेरे तन मन में छाया है तेरे चेहरे का मुस्काना ।
तुम्हारी याद जब आती,भूख और प्यास न भाती,
तेरी यादों के साये मेंं,बीते यह जन्म दिलजाना ।
तुम्हीं दिल में समाए हो, तुम्हीं नजरोंं में छाए हो,
तेरे बिन कोई न मेरा,किया दिल तुमको नजराना।
समर्पित तुमको है जीवन,तुम्हीं को है समर्पित मन,
तुम्हारे गेंसुओं की छांव में, जीवन विता जाना।
तुम्हारे अधर मुस्काते,,,,नयन रहते है शरमाते,
ये “निर्मल”मन बहुत भाते,तेरे में मन हो मस्ताना।
सीताराम साहू “निर्मल”मध्य प्रदेश।
नई शुरुआत
लो सफर शुरू हो गया,
फिर वो इम्तिहान शुरू हो गया,
फिर मुश्किल शुरू हो जाएंगी,
फिर वो गलतियां शुरू हो जाएंगी।।
मुश्किलों से अगर तू डर जायेगा,
तो आगे कैसे तू कुछ कर पाएगा।
अगर अभी ही डर गया तू, की होगा क्या आगे,
तो फिर अभी क्या पाएगा, नींद चैन त्यागे।।
रख विश्वास खुदपे,
चल दे सही रास्ते पर आगे।
क्युकी मुश्किलों से तुझे लड़ना है,
जीत को हासिल करना है।।
अरे! इन मुश्किलों से बिन लड़े,
कुछ न हो पाएगा।
वरना जहा था तू,
वही रह जायेगा।।
नाम – निमित जैन
उम्र – चौदह वर्ष
Insta- quote_bynimit
मम्मी जल्दी करो…. मुझे देर हो रही हैं…।
आई बेटा…. बस दो मिनट…।
मम्मी जल्दी….।
घर से बाहर बाइक पर बैठा अंकित लगातार अपनी मम्मी को आवाज लगाए जा रहा था…। आज उसे कुछ ज्यादा ही जल्दी थीं…। हो भी क्यूँ ना…. आज वो अपने सपने की शुरुआत का पहला कदम जो रखने जा रहा था..। अंकित का बचपन से एक ही सपना था…. भारत के लिए क्रिकेट खेलना…। स्कूल और कालेज की टीमों में सालों से खेलते हुए… आज उसे स्टेट लेवल पर खेलने का मौका मिल रहा था…। यह मैच दूसरे राज्य से आई हुई टीम के साथ खेलना था…। अंकित एक बेहतरीन बल्लेबाज के साथ एक बेहतरीन स्पिन गेंदबाज भी था…। आज पहली बार उसे आगे बढ़ने का मौका मिल रहा था…। उसे मैच खेलने के लिए अपने शहर के बाहर बने एक स्टेडियम में जाना था…. जिसका रास्ता तकरीबन आधे घंटे जितना था…। हालांकि मैच दोपहर का था पर मैच से पहले प्रेक्टिस सेशन था…। जहाँ अंकित को सवेरे सात बजे तक पहुंचना था… अंकित तो पूरी रात सोया ही नहीं था…। आंखों में हजारों सपने लिए वो छह बजे ही तैयार होकर जाने के लिए बाइक पर बैठा… लेकिन तभी उसकी मम्मी ने उसे दो मिनट रुकने को बोला…।
कुछ मिनटों में ही अंकित की मम्मी सुजाता एक हाथ में पूजा की थाली और दूसरे हाथ में दही और शक्कर की कटोरी लेकर बाहर आई…..।
आज तेरा सपना पूरा हो रहा है बेटा… ऐसे कैसे तुझे जाने दूंगी. ।इस दिन के लिए ना जाने तुने कितनी मेहनत की हैं… कितनी रातें काली की हैं…। ले ये कटोरी पकड़ पहले….।
क्या मम्मी आप भी ना…। इन सबके लिए मुझे रोक कर रखा था….।
हां बेटा….। तु बातें बंद कर और पहले ये कटोरी पकड़…। मुझे पहले तेरी आरती उतारनी हैं…।
मम्मी एक बार टीम में सलेक्शन हो जाने दो फिर पूरा देश तेरे बेटे की आरती उतारेगा..।
तेरे मुंह में घी शक्कर…। अभी इसे पकड़..।
अंकित ने कटोरी हाथ में ली…। सुजाता ने उसकी आरती की और माथे पर कुमकुम से तिलक लगाया…। फिर उसे दही और शक्कर खिलाया…। अंकित ने भी उनका सम्मान करते हुए उनके पैर छुंए और बाइक चलाकर अपनी मंजिल की ओर रवाना हो गया…।
सुजाता घर आकर अपने काम करते करते ऊपरवाले से उसकी तरक्की की मिन्नते मांगे जा रहीं थी…। वही अंकित बाइक चलाते हुए अपनी मम्मी के त्याग और मेहनत के बारे में सोच रहा था की कैसे उसकी मम्मी ने सिंगल मदर होतें हुए भी उसकी इतनी अच्छी देखभाल की…. उसके सपनों को पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत की..।
बस मम्मी आपने बहुत किया…. अब मेरी बारी है…. अब मैं आपको वो हर खुशी दूंगा जो आपने मेरे लिए कुर्बान कर दी….। अंकित मन में सोचते सोचते चला जा रहा था…. की तभी…. कुछ सैंकिड्स के लिए जैसे उसका ध्यान कहीं गया हो ओर अचानक सामने से आते हुवे एक ट्रक के साथ उसकी टक्कर हो गई….। टक्कर इतनी जबरदस्त और यकायक हुई थीं की अंकित को संभलने ओर समझने का वक्त ही नहीं मिला….। अंकित के दोनों पैर ट्रक के टायरों के नीचे दब गए थे….। गनीमत हैं की हेलमेट की वजह से उसके सिर पर कोई चोट नहीं आई थीं….। इस एक्सीडेंट के होते ही ट्रक का ड्राइवर ट्रक को वही छोड़ भीड़ आने से पहले ही रफूचक्कर हो गया…। कुछ स्थानीय लोगों और राहगीरों की मदद से अंकित जो बेहोश हो चुका था उसे नजदीक के हास्पिटल ले जाया गया…।
पुलिस की मदद से उसका समय पर इलाज शुरू किया गया और अंकित के मोबाइल से उसकी माँ सुजाता को भी दुर्घटना की जानकारी दी गई…।
हास्पिटल पहुंचने पर डाक्टर से सुजाता को पता चला की दुर्घटना में अंकित के दोनों पैर खो चुके हैं…।
घंटो चले आपरेशन के बाद भी उसके पैरों को बचाया नहीं जा सका..।
कुछ दिनों बाद जब अंकित को होश आया और उसे इस बारे में पता चला तो वो पूरी तरह से टूट चुका था..। वो बार बार सुजाता के सामने मरने की बात करने लगा…।
अंकित से ज्यादा तकलीफ सुजाता को हुई थीं लेकिन अपने बेटे को हिम्मत देने के लिए उसने खुद को मजबूत बनाकर रखा था..। दिन बितते गए..।
अंकित हास्पिटल से घर आ चुका था… व्हीलचेयर पर…। लेकिन वो हिम्मत हार चुका था… हर पल उस हादसे के बारे में सोच सोचकर रोता रहता था…।
सुजाता के लाख समझाने के बाद भी अंकित का व्यवहार बदल नहीं रहा था..।
आखिर कार एक दिन सुजाता उसके पास बैठी और बोलीं :- अंकित…. मैं चाहतीं हूँ.. तु फिर से अपने सपने को साकार कर…।
अंकित ये सुनकर चौंक गया और बोला :- सपना…. इस हालत में… मम्मी… आप भी मेरा मजाक बना रहीं हो…।
मजाक नही बना रहीं बेटा… तुझे रास्ता दिखा रहीं हूँ…। सिर्फ तेरे पैर गए हैं… तेरा टैलेंट नहीं… तेरी जान नहीं…। तुझे ऊपरवाले ने कुछ अलग करने के लिए बचाया हैं तो उसके इशारे को समझ…।
मम्मी… आप क्या बकवास कर रहीं हैं… मैं क्रिकेट का खिलाड़ी था… वो बिना टांगो के मुमकिन नहीं होता हैं खेलना… पता नहीं आप क्यूँ ऐसे बात कर रहीं हो…।
बेटा… यहाँ बैठकर रोने से तेरे खोए हुवे पैर तो वापस नहीं आने वाले हैं…। तो कुछ ऐसा करो जिससे तुम्हें कम से कम खुश होने का मौका तो मिले…।
मैं समझ नहीं पा रहा हूँ मम्मी… आप कहना क्या चाहते हो…।
सुजाता ने एक अखबार अंकित को देते हुए कहा :- मैं एक नई शुरुआत की बात कर रहीं हूँ…। विकलांग क्रिकेट मैच के बारे में बात कर रहीं हूँ… बेटा तुझमें टैलेंट की कोई कमी नहीं हैं मैं भी जानती हूँ… क्या हुआ अगर तुमसे कुछ छिन गया हैं…। एक बात याद रखना बेटा… कामयाबी उन्ही को मिलतीं हैं जो मेहनत करते हैं…। अपनी किस्मत पर रोते रहने से , ऊपरवाले को कोसते रहने से कभी कामयाबी नहीं मिलतीं…। उठो और एक नई शुरुआत करो….। हार जीत मायने नहीं रखती…. मायने रखती हैं कोशिश…।
हम्म…. तुम ठीक कह रहीं हो मम्मी… मैं आज सही मायने में समझ रहा हूँ की तुम्हें मुझे ऐसे देखकर कितनी तकलीफ हो रहीं होगी… लेकिन मैं सिर्फ अपने हुवे पर रोता रहता हूँ… लेकिन अब नहीं मम्मी… मैं इस कमी को अपनी कामयाबी के बीच कभी नहीं आने दूंगा…। मैं करुंगा…. एक नई शुरुआत..।
दिया जेठवानी…
नई शुरुआत
आज कई सालों बाद ,
नई शुरुआत की मैने,
देर से ही सही की मैने,
जो जिंदगी के सपने थे,
बंद थे कहीं पन्नों में,
पर आज इस उम्र में,
पर नई शुरुआत की मैने,
घर के कामौ से फुर्सत पा,
शब्दों को उतारा करती पन्नों में,
बस यू ही मेरे जीवन की,
नई शुरुआत मैने की।
..
Harneet Kaur naiyyar
चलो नई एक शुरुआत करते हैं
जो बीत गया, जो गुजर गया
उसे न याद करते हैं
कुछ कागजी रिश्तो का
संस्कार करते हैं
उनके बोझ से खुद को
आजाद करते हैं
चलो नई एक शुरुआत करते हैं
भरते है नई उडाने
नए कुछ ख्वाब सिलते हैं
इस जमाने की न सुनकर
कुछ अपने मन की करते हैं
नाचते हैं बचपन की तरह बारिश में
चांद मुट्ठी में भरते है
चलो नई एक शुरुआत करते हैं
आसमां के कैनवस
रंग अपनी मर्जी के भरते है
अब थोड़ा खुद के लिए जीते हैं
थोड़ा खुद के लिए मरते हैं
चलो नई एक शुरुआत करते हैं
नाम:- हरकमलदीप कौर
इंस्टा:- deepak_harkamal
💓🇮🇳 नई शुरुआत 🇮🇳💓
या मन घडन्ता कहानी,
या वन म बैठी रानी |
या रंडवा को मन तडपाव,
यहां त्यागी होगा भोगी ! भगवान |
या भागदोड शौ जीवन होगो,
होगा हल्ला बोल र ! है राम |
मिला हाथ नई रूत शुरु करा,
रूस्या न मनावा, रोता हंसावा |
खई सुनी न माफ करा, कुछ भुला
ईक बार मिला,नई करा शुरूआत |
नर सु नर मिल ज्या,
मन सु मन मिल ज्या, नई उमंग जग ज्या |
ओमप्रकाश मीना(ओम ऋषी)
चलो एक नई शुरुआत करते हैं
जो बीत गया उससे परे कुछ बात करते हैं
कुछ ख़्वाब मैंने देखे थे संग उसके चलने के,
मगर कुछ वादे उसने भी तो मुझसे किए थे
कुछ शाम बिताई थी संग दोनों ने,
कुछ पल कुछ लम्हे बड़ी सिद्धत से दोनों ने एक दूजे के नाम किए थे
खैर छोड़ो जाने दो वो किसी पुराने हैं,
आज उन किस्सों को नहीं याद करते है
आज एक नई शुरआत करते हैं
वो वक्त भी बीता था संग उसके जब
कोई नहीं था साथ चलने को मगर,
राहें उसके साथ काटने लगी थीं
कभी खामोशी पसंद होती थी मेरी मगर,
अब दिन भर की बातें हर शाम उसके संग बात जाया करती थीं
मगर आज नहीं आज वो किस्से वो बातें भूल आज इस वक्त से मुलाकात करते हैं,
और क्यों दोहराती हो बीती बातों को तुम नियाशा…. चलो आज एक नई शुरआत करते हैं!
नियाशा माही
@mainormerikalam
Name – Shivani kumari
Insta@ kshivi1402
“नई शुरूआत”
हर सुबह एक नई शुरूआत लाती है।।
जो हो गया उसे भूल जाने को,,
अपनी गलतियां ना दोहराने को।।
जो बचा है उसे शरहाने को,,
कुछ कर के दिखाने को।।
यू बेखौफ मुस्कुराने को।।
जरूरी नहीं हर चाहत मुकुमल हो
कभी आशा कभी निराशा दोहराने को,,
कुछ बिखरे ख़्वाब सजाने को,,
कुछ कर दिखाने को, एक नई उम्मीद लाने को।।
न ही जिद है न ही गुरूर मुझे।
/////////////////////////////
न ही जिद है न ही गुरूर मुझे।
तुमको पाने का है शुरूर मुझे।
कैसे कह दूं कि तूं नही मेरा,
तुने ही सब दिया जरूर मुझे।
दूर तुमसे कभी न जा पाऊं,
ऐसा कुछ कीजिए हुजूर मुझे।
दूर रहता तो डूब ही जाता,
पास में हूँ बना कोहिनूर मुझे।
मै किसी का बुरा न कर पाऊं,
कभी बनने न दे हुरूर मुझे।
तेरी मर्जी में मिला दी मर्जी,
तेरा हर फैसला मंजूर मुझे।
“निर्मल”उद्देश्य अक्षर पाना है,
अब नही चाहिए है हूर मुझे।
सीताराम साहू”निर्मल”छतरपुर मप्र
“नई शुरूआत”
हर सुबह एक नई शुरूआत लाती है।।
जो हो गया उसे भूल जाने को,,
अपनी गलतियां ना दोहराने को।।
जो बचा है उसे शरहाने को,,
कुछ कर के दिखाने को।।
यू बेखौफ मुस्कुराने को।।
जरूरी नहीं हर चाहत मुकुमल हो
कभी आशा कभी निराशा दोहराने को,,
कुछ बिखरे ख़्वाब सजाने को,,
कुछ कर दिखाने को, एक नई उम्मीद लाने को।।
Name – शिवानी कुमारी
Insta@ kshivi1402
लेखक – ऋचा गोस्वामी
विषय – नई शुरुवात
शीर्षक – सुबह की शुरुवात
एक खूबसूरत सुबह की शुरुवात
पंछियों की चहचहाहट
ठंडी हवा का झोंका
जैसे भगवान की
बोली और स्पर्श का एहसास
रात को सिमटी फूल की कली का
पंखुड़ी खोल कर पराग का बिखरना
नाम= पंकज भगत सिंह
Insta I’d पंकज भगत सिंह
नई पहचान बना लो
दुनिया नई हो गई है
विचार बदल लो दुनिया बदल रही है
अब वो दौर नही है की नारी घर चलाएंगी
अब दौर वो है नारी भी घर चलाएंगी
भारत ने बदला भेष अपना सब अपना बनाता है
अब राष्ट्र गुरु के रास्ते पर भारत पैर बढ़ाया है
नई युग नई धारा है
जिसका नई विचारधारा है
पंकज भगत सिंह
हिंदी साहित्य
नाम : शकैब शाद
Insta I’d : shakaib_shaad
चलो एक नई शुरुआत करते हैं
पुराने गमों के खिलाफ करते हैं
नई खुशियों का आगमन हो जहां
अपनी जिंदगी को खास करते हैं
चलो एक नई शुरुआत करते हैं……
दिल में जो नफरतों का नगर हे
उस नगर में गुनाहों के घर हे
हम घर को तोड़ कर सारे
खुदा से प्रश्चाताप करते हैं
चलो एक नई शुरुआत करते हैं……..
हम से जो रूठे लोग हे सारे
चलो उन को मना कर आते हैं
रात जिनके बिना ही बीत गई
सुबह उन के साथ करते हैं
चलो एक नई शुरुआत करते हैं……
साथ जो लोग थे हमारे
अब वो हे नही हमारे
जो रिश्ते खो दिए घमंड से
रिश्तों को प्रयाप्त करते हैं
चलो एक नई शुरुआत करते हैं……
चलो नारी शक्ति को बढ़ाते हैं
इन्हे संसार नया दिखाते हैं
दिलों से सारे डरो को मिटाते हैं
इनसे अच्छा व्यवहार करते हैं
चली एक नई शुरुआत करते हैं…….
नई पहचान बना लो
दुनिया नई हो गई है
विचार बदल लो दुनिया बदल रही है
अब वो दौर नही है की नारी घर चलाएंगी
अब दौर वो है नारी भी घर चलाएंगी
भारत ने बदला भेष अपना सब अपना बनाता है
अब राष्ट्र गुरु के रास्ते पर भारत पैर बढ़ाया है
नई युग नई धारा है
जिसका नई विचारधारा है
पंकज भगत सिंह
हिंदी साहित्य
ऐं🙏🏼
नव कल की शुरुआत करें
नई शुरुआत करने को,
नई राहें तैयार करें,
चलो छोड़ो वो राहें जिस पर,
भेड़चाल में हम थे चले।
नई सोच संग नई जमीन पर,
नई फसल तैयार करें,
हार-हार ना हार मानकर,
इक मजबूत हुँकार भरें।
जीवन बहता दरिया है
हँसकर इसको पार करें,
नई उमंग लेकर मन में,
संघर्ष-सहर्ष स्वीकार करें।
आते-जाते जीवन से ,
ले सबक प्रयास करें,
बन कर मिटना, मिट कर बनना,
हम भी यही हर बार करें।
जिन्दगी जिद्दी है जितनी,
हम भी उतनी ही जिद्द करें,
बुरा घटित ना याद करें हम,
खुशियों की उम्मीद करें।
जो सदियों से होता आया,
उसकी भी तो परख करें,
जो मर्यादित वो ना हुई तो,
नये चलन को सशक्त करें।
हर पल नया-नवेला जब है
क्यों बीते कल की बात करें,
चलो उसको जाने देते,
नव कल की शुरुआत करें।
श्वेता रचित
शुरुवात
गुजरात हाई कोर्ट ने द्वारिका के 2 द्वीपों पर कब्जा जमाने के सुन्नी वक्फ बोर्ड के सपने को चकनाचूर कर दिया है।।
इस समय गुजरात का यह विषय बहुत चर्चा में है।। सोशल मीडिया के माध्यम से हम लोगों को मालूम पड़ गया वरना पता ही नहीं चलता।
कैसे पलायन होता है और कैसे कब्जा होता है, क्या लैंड जिहाद होता है वह समझने के लिए आप बस बेट द्वारिका टापू का अध्यन करलें तो सब प्रक्रिया समझ आ जायेगी।
कुछ साल पहले तक यहाँ कि लगभग पूरी आबादी हिन्दू थी।
यह ओखा नगरपालिका के अन्तर्गत आने वाला क्षेत्र है जहाँ जाने का एकमात्र रास्ता पानी से होकर जाता है।इसलिए बेट द्वारिका से बाहर जाने के लिए लोग नाव का प्रयोग करते हैं।।
यहाँ द्वारिकाधीश का प्राचीन मंदिर स्थित है।
कहते हैं कि 5हजार साल पहले यहाँ रुक्मिणी ने मूर्ति स्थापना करी थी।
समुद्र से घिरा यह टापू बड़ा शांत रहता था।
लोगो का मुख्य पेशा मछली पकड़ना था।
धीरे धीरे यहाँ बाहर से मछली पकड़ने वाले मुस्लिम आने लगे।
दयालु हिन्दू आबादी ने इन्हें वहाँ रहकर मछली पकड़ने की अनुमती दे दी।
धीरे धीरे मछली पकडने के पूरे कारोबार पर मुस्लिमों का कब्जा हो गया।
बाहर से फंडिंग के चलते इन्होंने बाजार में सस्ती मछली बेची जिससे सब हिन्दू मछुआरे बेरोजगार हो गये।
अब हिन्दू आबादी ने रोजगार के लिए टापू से बाहर जाना शुरू किया।
लेकिन यहां एक और चमत्कार हो गया।
बेट द्वारिका से ओखा तक जाने के लिए नाव में 8 रुपये किराया लगता था।
अब क्योंकि सब नावों पर मुस्लिमों का कब्जा हो गया था तो उन्होंने किराये का नया नियम बनाया।
जो हिन्दू नाव से ओखा जायेगा वह किराये के 100 रुपये देगा और मुस्लिम वही 8 रुपये देगा।
अब कोई दिहाड़ी हिन्दू केवल आवाजाही के 200 रुपये देगा तो वह बचायेगा क्या ?
इसलिए रोजगार के लिए हिन्दुओ ने वहाँ से पलायन शुरू कर दिया।
अब वहाँ केवल 15 प्रतिशत हिन्दू आबादी रहती है।
आपने पलायन का पहला कारण यहाँ पढ़ा।
रोजगार के 2 मुख्य साधन मछली पकड़ने का काम और ट्रांसपोर्ट दोनो हिन्दुओ से छीन लिया गया।
जैसे बाकी सब जगह राज मिस्त्री,कारपेंटर, इलेक्ट्रॉनिक मिस्त्री , ड्राइवर ,नाई व अन्य हाथ के काम 90% तक हिन्दुओ ने उनके हवाले कर दिये हैं।
अब बेट द्वारिका में तो 5 हजार साल पुराना मंदिर है जिसके दर्शन के लिए हिन्दू जाते थे तो इसमे वहां के जिहादियों ने नया करने तरीका निकाला।
क्योंकि आवाजाही के साधनों पर उनका कब्जा हो चुका था तो उन्होंने आने वाले श्रद्धालुओं से केवल 20-30 मिनट की जल यात्रा के 4 हजार से 5 हजार रुपये मांगने शुरू कर दिये।
इतना महंगा किराया आम व्यक्ति कैसे चुका पायेगा इसलिए लोगो ने वहां जाना बंद कर दिया।
अब वहाँ पूर्ण रूप से जिहादियों की पकड़ हो गई थी तो उन्होंने जगह जगह मकान बनाने शुरू किये, देखते ही देखते प्राचीन मंदिर चारो तरफ से अपने मजारों से घिर गया।
वहाँ की बची खुची हिन्दू आबादी सरकार को अपनी बात कहते कहते हार चुकी थी, फिर कुछ हिन्दू समाजसेवियों ने इसका संज्ञान लिया और सरकार को चेताया।
सरकार ने ओखा से बेट द्वारिका तक सिग्नेचर ब्रिज बनाने का काम शुरू करवाया। बाकी विषयो की जांच शुरू हुई तो जांच एजेंसी चौंक गई।
गुजरात में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका स्थित बेट द्वारिका के दो टापू पर अपना दावा ठोका है। वक्फ बोर्ड ने अपने आवेदन में दावा किया कि बेट द्वारका टापू पर दो द्वीपों का स्वामित्व वक्फ बोर्ड का है। गुजरात उच्च न्यायालय ने इस पर आश्चर्य जताते हुए पूछा कि कृष्ण नगरी पर आप कैसे दावा कर सकते हैं और इसके बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया।
बेट द्वारका में करीब आठ टापू है, जिनमें से दो पर भगवान कृष्ण के मंदिर बने हुए हैं। प्राचीन कहानियां बताती हैं कि भगवान कृष्ण की आराधना करते हुए मीरा यहीं पर उनकी मूर्ति में समा गई थी। बेट द्वारका के इन दो टापू पर करीब 7000 परिवार रहते हैं, इनमें से करीब 6000 परिवार मुस्लिम हैं। यह द्वारका के तट पर एक छोटा सा द्वीप है और ओखा से कुछ ही दूरी पर स्थित है। वक्फ बोर्ड इसी के आधार पर इन दो टापू पर अपना दावा जताता है।
यहां अभी इस साजिश का शुरुआती चरण ही था कि इसका खुलासा हो गया. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक इस चरण में कुछ लोग, ऐसी जमीनों पर कब्जा करके अवैध निर्माण बना रहे थे, जो रणनीतिक रूप से, भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता था.
अब जाकर सब अवैध कब्जे व मजारे तोड़ी जा रही हैं।
बेट द्वारिका में आने वाला कोई भी मुसलमान वहाँ का स्थानीय नही है सब बाहर के हैं।
फिर भी उन्होंने धीरे धीरे कुछ ही वर्षों में वहां के हिन्दुओ से सब कुछ छीन लिया और भारत के गुजरात जैसे एक राज्य का टापू सीरिया बन गया।
From news
Natasha Kushwaha
Mandla Madhya Pradesh
चलो एक नई शुरुआत करते हैं।
दिल की कुछ बातें एक दुजे संग बांटते हैं।
कुछ तुम अपनी कहना,
कुछ मेरी भी सुनना।
बीती बातों को भुलाकर,
चलो एक नई शुरुआत करते हैं।
जो पल बीत गए उन्हें पीछे छोड़,
एक नई यादें बनाते हैं।
जिंदगी है सुख दुख तो आते जाते हैं।
बुरे दिनों भुलाकर,
चलो एक नई शुरुआत करते हैं।
हर राहों पर कई राहगीर मिलेंगे।
कुछ अपने कुछ पराए मिलेंगे।
कोई तुम्हारे खुशियों के साथी बनेंगे।
तो कोई दुख में हमदर्द भी बनेंगे।
हर पलों को अपनाकर,
यादों के अलबम में सहेजकर,
चलो एक नई शुरुआत करते हैं।
बुल्टी दास सरकार,insta I’d.bulty.sarkar
है शिकायत तो क्यों बताते नही।
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है शिकायत तो क्यों बताते नही।
आज कल पास मेरे आते नही।
करता हूं पूछने की कोशिश तो,
रहते नाराज हक जताते नही ।
कह नही पाते तो खत ही दे दो,
देखो अपनों को यूं सताते नही।
चाँद तारे फलक से देख रहे,
पास आ जाओ यूं शरमाते नही।
कोई तुमसा नही हम दर्द मेरा,
हम निभाते है तुम निभाते नही।
रास्ता सूना भी है अंधेरा बहुत ,
यूं अंधेरों में दूर जाते नही।
“निर्मल”दिल से तुम्हें बुलाता है,
फिर न कहना मुझे बुलाते नही।
सीताराम साहू”निर्मल”छतरपुर म प्र